
आज हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिसमें विज्ञान, बुद्धिमत्ता और रोमांच का अद्भुत मेल है। यह कहानी है अर्किमिडीज (Archimedes) की, जिन्होंने ब्यूएंट फोर्स (Buoyant Force) का पता लगाया। लेकिन यह खोज साधारण नहीं थी। इसमें शामिल था एक राजा, एक सोने का ताज, और एक बेहद दिलचस्प चुनौती।
शुरुआत कैसे हुई?
यह घटना 3rd शताब्दी BC की है। सायराक्यूज़ (Syracuse) के राजा हीरो (King Hiero) ने एक सुनार से एक खूबसूरत सोने का ताज (golden crown) बनवाने का आदेश दिया। ताज बनकर तैयार हुआ, और राजा को यह बहुत पसंद आया। लेकिन जल्द ही राजा को यह शक हुआ कि सुनार ने ताज में शुद्ध सोने की जगह चांदी मिलाई है।
अब राजा के सामने समस्या यह थी कि ताज को बिना नुकसान पहुंचाए यह कैसे पता लगाया जाए कि यह शुद्ध सोने का बना है या नहीं? राजा ने यह जिम्मेदारी दी अर्किमिडीज को, जो उस समय एक महान वैज्ञानिक और गणितज्ञ थे।
समस्या का हल कैसे निकला?

अर्किमिडीज ने कई दिनों तक इस समस्या पर विचार किया, लेकिन उन्हें कोई हल नहीं सूझा। एक दिन वह इस गुत्थी को सुलझाने के बारे में सोचते-सोचते स्नान करने गए। जब वह पानी से भरे टब (bathtub) में उतरे, तो उन्होंने देखा कि टब से पानी बाहर गिर रहा है।
यह देख अर्किमिडीज को एक आइडिया आया। उन्होंने महसूस किया कि जब वह टब में उतरते हैं, तो उनका शरीर पानी को डिस्प्लेस (displace) करता है। और इसी डिस्प्लेसमेंट से यह पता लगाया जा सकता है कि किसी वस्तु का वजन और घनत्व (density) कितना है।
यूरीका! यूरीका!
जैसे ही अर्किमिडीज को इस बात का एहसास हुआ, वह खुशी से चिल्लाते हुए “यूरीका! यूरीका!” (Eureka! Eureka!) कहने लगे, जिसका मतलब है “मैंने पा लिया! मैंने पा लिया!”। वह इतने उत्साहित थे कि कपड़े पहनना भी भूल गए और नंगे पैर राजा के पास दौड़कर पहुंचे।
कैसे साबित हुआ ताज में धांधली?
अर्किमिडीज ने राजा के ताज और शुद्ध सोने के एक टुकड़े को पानी में डुबोकर देखा। उन्होंने पाया कि दोनों की डिस्प्लेसमेंट अलग थी, जबकि वजन समान होना चाहिए था। इससे यह साफ हो गया कि ताज में शुद्ध सोना नहीं है, बल्कि उसमें चांदी मिलाई गई थी।
इस खोज का महत्व
अर्किमिडीज की इस खोज ने “ब्यूएंट फोर्स” को समझने का रास्ता दिखाया। यह सिद्धांत बताता है कि जब कोई वस्तु पानी या किसी तरल में डूबी होती है, तो उस पर एक ऊपर की ओर बल (upward force) लगता है। इसी बल की वजह से नाव पानी में तैरती है और भारी जहाज भी समुद्र पर टिके रहते हैं।
अर्किमिडीज की यह कहानी न केवल उनकी बुद्धिमत्ता को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि बड़ी खोजें कभी-कभी साधारण घटनाओं से शुरू होती हैं। उनकी “यूरीका!” की गूंज आज भी हमें विज्ञान की अद्भुत दुनिया में झांकने के लिए प्रेरित करती है।
तो दोस्तों, अगर कभी किसी समस्या का हल न मिले, तो आराम करें, सोचें और हो सकता है कि जवाब आपके सामने हो। क्या पता, आपकी भी “यूरीका!” पल जल्द ही आ जाए!