
हर वर्ष 30 जनवरी को भारत महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाता है। इस दिन को ‘शहीद दिवस’ के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि 1948 में इसी दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी। यह दिन गांधी जी के विचारों, उनके अहिंसात्मक आंदोलन और राष्ट्र के प्रति उनके योगदान को याद करने का अवसर होता है।
महात्मा गांधी: सत्य और अहिंसा के पुजारी
मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें पूरी दुनिया ‘महात्मा गांधी’ और भारत में ‘बापू’ के नाम से जानती है, का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। उन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र कराने के लिए अहिंसा (Non-violence) और सत्याग्रह (Satyagraha) का मार्ग अपनाया। उनके नेतृत्व में असहयोग आंदोलन (1920), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) जैसे ऐतिहासिक आंदोलन हुए, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी।
30 जनवरी 1948: गांधी जी की शहादत
30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली स्थित बिड़ला हाउस में शाम 5:17 बजे नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को तीन गोलियां मार दीं। गांधी जी के अंतिम शब्द “हे राम” थे। उनकी हत्या ने पूरे देश को शोक में डाल दिया और विश्वभर में अहिंसा के समर्थकों को गहरा आघात पहुंचाया।

शहीद दिवस: गांधी जी को श्रद्धांजलि
भारत में 30 जनवरी को शहीद दिवस (Martyrs’ Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूरे देश में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
राजघाट (दिल्ली) पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
सुबह 11:00 बजे दो मिनट का मौन रखा जाता है।
स्कूलों, सरकारी संस्थानों और विभिन्न संगठनों में अहिंसा व गांधी जी के आदर्शों पर चर्चा की जाती है।
गांधी जी के विचार और आज का समाज
महात्मा गांधी का जीवन और उनके सिद्धांत आज भी प्रेरणा देते हैं। उनका “सत्य और अहिंसा”, स्वदेशी (Self-reliance), सर्वधर्म समभाव (Religious harmony) और स्वराज (Self-rule) का संदेश आज भी प्रासंगिक है।
आज जब दुनिया हिंसा और असहिष्णुता की ओर बढ़ रही है, गांधी जी की शिक्षाएं हमें प्रेम, शांति और एकता का मार्ग दिखाती हैं। हमें उनके विचारों को अपने जीवन में उतारना चाहिए और समाज में सद्भावना को बढ़ावा देना चाहिए।
महात्मा गांधी सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं। उनकी पुण्यतिथि हमें याद दिलाती है कि अहिंसा, प्रेम और सत्य के मार्ग पर चलकर हम एक बेहतर समाज बना सकते हैं। आइए, इस दिन हम संकल्प लें कि उनके सिद्धांतों को अपनाकर भारत को एक समृद्ध और शांतिपूर्ण राष्ट्र बनाएंगे।
“रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम…”